♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />~~~~~~~~~~~~~<br /><br />वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 28.07.2019, अद्वैत बोधस्थल ,ग्रेटर नॉएडा , भारत <br /><br />प्रसंग:<br /><br />श्रेयान्स्वधर्मो विगुणःपरधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।<br />स्वधर्मे निधनं श्रेयःपरधर्मो भयावहः ॥३४॥ <br /><br />भावार्थः<br />दूसरों के कर्तव्य का भली-भाँति अनुसरण करने की अपेक्षा <br />स्वधर्म को दोष-पूर्ण ढंग से करना भी अधिक कल्याणकारी है ।<br />दूसरे के कर्तव्य का अनुसरण करने से भय उत्पन्न होता है,<br />और स्वधर्म में मरना भी श्रेयस्कर होता है।<br />~ श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय ३, श्लोक ३५)<br /><br />~ क्या मन की गति भी सूक्ष्म कर्म है और मोह उसका कारण है?<br />~ मोह को करीब से कैसे जाने?<br />~ मोह-माया से कैसे बचें?<br />~ नियत कर्म क्या है?<br />~ क्या हमारे सभी कर्म मोह से आते है?<br />~ दूसरे के धर्म से यहाँ क्या आशय है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~~~